राष्ट्रीय चौहान महासंघ

1-  सभी बन्धुओ में संपर्क एवम् एकता प्रतिस्थापित करना और उनको समय समय पर इकट्ठा करना, करवाना और इनमें आपस में सहकार, प्रेम भावना पैदा करना ।सामुहिक विवाह ,युवक युवती परिचय सम्मेलन करना, करवाना और परिवारों का पता लगाकर विवरण तैयार करना ।
2-  जाति का सर्वागिण विकास करना ।इसमें आर्थिक, शैक्षणिक और सामाजिक आदि क्षेत्र शामिल है ।
3-  पाठशाला, प्राथमिक शाला, शिक्षण विद्यालय, महाविद्यालय, पुस्तकालय स्थापित करना, बनाना ।
4-  योग्य व जरूरत मंद विद्यार्थियों को किताबों, कापीबुक,यूनिफार्म,पुरस्कार एवं छात्रवृत्तिया आदि देना, प्रदान करना और छात्रों को समय समय पर उत्साहित करने के लिए पारितोषिक ,प्रशंसा पत्र पदक आदि देना ।
5-  अस्पताल स्थापित करना, बनाना ।जरूरत मंदों को दवा- पानी, डाक्टरी सलाह-सहायता देने का प्रयत्न, प्रबंध करना तथा रक्त दान शिविर का आयोजन करना ।
6-  दैवीय आपदाओ के वक्त यथासंभव बंधूओ की मदद करना ।
7-  स्वजातिय समाज में उत्थान की भावना को प्रोत्साहित करना और सभी के धर्मों के प्रति समादर प्रदर्शित करना और लोगों में आदर्श नागरिकता के गुण और देश प्रेम की भावना पैदा करना ।
8-   सीमित व सुखी परिवार रखने को प्रोत्साहित करना ।
9-   (अ)-महासंघ के उद्देश्यों से मिलती जुलती अन्य संस्था को इस संस्था के नाम उद्देश्य परिवर्तन किए बिना अग्रसर करना, सहायता और सहयोग देना, लेना अथवा संयुक्त करना ।
(ब)महासंघ की ओर से स्वजातिय बन्धुओ में एकता लाने और उद्देश्यों के प्रचार प्रसार के लिए जगह जगह महासंघ की देखरेख में शाखाएँ खोलना ।
10-   आवश्यकतानुसार विभिन्न भाषाओं में साहित्य तैयार करना, छपाना और विपरीत करना ।
11-   स्वजातिय समुदाय में व्याप्त बुराइयों जैसे अंधविश्वास, बाल विवाह, दहेज प्रथा आदि को दूर करना ।
12-   साधारण तथा वे सभी कार्य करना जो महासंघ के उद्देश्य पूर्ति में सहायक हो ।
मुनीब सिंह चौहान
राष्ट्रीय अध्यक्ष
राष्ट्रीय चौहान महासंघ
सदस्यों के जानकारी हेतु प्रस्तुत ।


राष्ट्रीय चौहान महासंघ संगठन ही शक्ति ️

संगठित रहना हम सभी को क्यों आवश्यक है? कौन ऐसी स्थिति है जहां हम एक होते हैं। वह जगह है संस्था/संगठन । भले ही हमारे आपके कार्य एक हैं या अलग अलग है,पर हम सब अपने अपने बुद्धि विवेक से कमाते हैं, बनाते हैं, और बचत करते हैं। कोई किसी को नहीं देता है। परंतु इससे क्या, हम अपने आप को सुरक्षित महसूस करते हैं, क्या हम अपने आप को संगठित समझते है,क्या हम अपने आप को समाजिक समझते है, क्या हम सब दूसरे समाज की अपेक्षा मजबूत हैं,नहीं ,तो क्यों नहीं, हम क्यों नही समझने की कोशिश कर रहे हैं। कौन किससे जबरदस्ती कर रहा है, कौन आपसे जबरन पैसा मांग रहा है, कौन अपने व्यक्तिगत विकास के लिए पैसा मांग रहा है, कोई नहीं, अगर कोई संगठित होने के लिए आप से गुजारिश कर रहा है ,दान अनुदान मांग रहा है, तो आप सभी को समझना चाहिए, कि वह व्यक्ति आप सभी के भलाई के लिए, आपके बच्चे बच्चियों के भविष्य के लिए,सुरक्षा के लिए, शिक्षा के लिए, सामाजिकता के लिए व आपके हक अधिकार के लिए चल रहा व प्रयास कर रहा है। ऐसे लोगो को आप सभी को हर हाल में सपोर्ट करने चाहिए। क्योंकि हर हाल में उस ब्यक्ती जैसा सभी नही कर सकते है आप सभी की भलाई के लिए कार्य किए जा रहे है।कोई तो जगह बनाया जाए एक साथ बैठने का, कभी तो एक साथ बैठ कर बातें किया जाए, कभी तो कुछ बात ही कहने को एक साथ बैठा जाए।हर समाज अपने-अपने को समाजिक व राजनीतिक मजबूती व अपने हक अधिकार के लिए एक हो रहे हैं। उसके लिए आवाज बुलंद कर रहे है। वे दूसरे समाज से दान नही मांगते,वे दुसरो पर आश्रित नही रहते,वे अपने समाज की मजबूती के लिए स्वयं आगे बढ़-चढ़ कर हिस्सेदारी सुनिश्चित करते है, और लड़ाई लड़ते है।वे जानते हैं कि सभी समाजों के लिए हम व्यवस्था नहीं कर पाएंगे, क्योंकि दूसरा समाज वाला अपने को सहयोग समर्थन नहीं देगा।अपना अपना होता है ,हर कोई अपने को मजबूत कर आगे आता जा रहा है, और हम तमाशे गीर बनकर मानो तमाशा देख रहे है।किस इन्तजार में बैठे है हम सब, अपने भविष्य को बर्बादी की दहलीज पर आते हमें क्यों नही दिखाई व समझ आ रहा है, दुसरे समाज के जो समझदार लोग हैं वह अपने-अपने मजबूती की मिसाल छात्रावास बनाकर, कॉलेज बनाकर, अस्पताल बनाकर, राजनीतिक पार्टी बनाकर व सामाजिक संगठन बनाकर दूसरे समाज के तुलना में बड़ा बनते जा रहे हैं ।जिसे हम स्वयं व अन्य पिछड़े समाज के लोग उन्हें बड़े समाज के नाम से जानते व पहचानते हैं।क्या आप नहीं चाहते कि आपका भी समाज दूसरे समाज वालों से बराबरी करे या आगे हो, मान सम्मान मिले । क्या आप अभी के स्थिति वाले अपने समाज के मान सम्मान से खुश हैं, जो वर्तमान में स्थिति है,जवाब पाएंगे नहीं।आप सभी ने सुना होगा और अमूमन अपने समाज के लोगों द्वारा यह कहा सुना होगा कि यह समाज नहीं सुधरेगा ।हम पूछना चाहते हैं, कि क्या चौहान समाज आपका अपना समाज नही है। दूसरा ,आपके समाज को क्यों सुधारने आयेगा, उसको इसमें क्या फायदा होगा। कौन सा दूसरा समाज वाला आपके साथ रिश्ता करने वाला है,जो आपकी मजबूती के लिए वो प्रयास करें।आप हम वैसे ही असंगठित लोग हैं, आपके समाज में शिक्षा का अभाव है, समाज के नाम पर कटे कटे रहने वाले लोग है ,क्यों कोई दुसरा आपको तब्ज्जो देगा ,उसको आपकी चिंता क्यों होगी।चिंता तो उसे होगी जो आपके समाज का होगा , साथ ही साथ बुद्धिजीवी होगा। वह जानता है हम कितने भी बलवान हो जाएंगे, कितने भी बुद्धिमान हो जाएंगे, कितने भी धनवान हो जाएंगे, फिर भी हमारे समाज के संगठित ना रहने से ,हम बिना मूल्य के हैं। हमारा अपना कोई अस्तित्व नहीं है ,कोई मूल्य नहीं है , कारण की हम जिस समाज से आते हैं वह समाज एक साथ नहीं है।एक साथ नहीं रहने से सबका नुकसान है, चाहे वह धनवान हो ,गरीब हो, कमजोर हो, बलवान हो।आप कभी अपने अंतरात्मा से पूछिए ,हमारा कर्तव्य समाज के प्रति क्या बनता है,क्या हमारी तनिक भी जिम्मेदारी नहीं कि हम जिस समाज में पैदा हुए हैं, उसे ऊपर उठाने का प्रयास करें । क्यों हम दूसरों को कोशते हैं की उस व्यक्ति ने ऐसा किया ,उस व्यक्ति ने ऐसा किया ।हम क्यों नहीं अपने आप में झांक कर देखते हैं कि हमने अपने समाज के लिए व्यक्तिगत क्या प्रयास किया है , किस मुंह से समाज में अपने बच्चे बच्चियों के लिए अच्छे रिश्ते की कल्पना करते।आपने जिस प्रकार का समाज निर्माण किया है उसी प्रकार के रिश्ते भी तो मिलेंगे।कब तक इसके लिए समाज को दोषी बनाएंगे आप।हम कब समझेंगे कि समाज हम सभी के द्वारा निर्मित एक बड़ा समूह है ।जिसमें हम सभी का मान, सम्मान व स्वाभिमान निहित है।हम क्यों नहीं दूसरे समाज के विकास को देख कर सिख पा रहे हैं । हम क्यों नहीं उनके जैसा मजबूत समाज बनाने के रास्ते को अपना रहे हैं। क्या हम ऐसा नहीं कर सकते?क्या हमारी संरचना व उनकी संरचना एक जैसी नहीं है। क्या यह काम असंभव है ,नहीं ,बिल्कुल नहीं है, हम किसी से कम नहीं है ,हम भी ऐसा कर सकते हैं, हमारे में भी वह दम है, बशर्ते हम सभी को अपने-अपने व्यक्तिगत बात विवाद को ना देखते हुए, एक साथ एक संस्था/संगठन के बैनर तले आने होंगे । जिस दिन हमारे समाज के लोग एक संगठन के नीचे सारे शिकवे शिकायतें को भुलाकर एक साथ हो लेंगे, उस दिन कोई शक्ति नहीं है जो चौहानों को आगे बढ़ने से रोक सके।फैसला आप सभी को करना है, स्वाभिमान के साथ जीना है, या जिल्लत भरी जीवन जीना है। हमारे समाज के लोगों से कौन ज्यादा मेहनती है । कोई नहीं है,फिर हमारी स्थिति ऐसी क्यों ,की कोई हमें कुछ समझता नहीं,अब हमें देर नहीं करना है। समय रहते, अपने जमीर को जिंदा करना है ,हमें भी इस भारत के मानचित्र पर अपनी एक लकीर खींचने है ।
जय चौहान, जगो चौहान ।
राष्ट्रीय चौहान महासंघ जिंदाबाद जिंदाबाद ।
श्री मुनीब सिंह चौहान जिंदाबाद जिंदाबाद ।
श्री नरेन्द्र चौहान जिन्दाबाद जिन्दाबाद, ।
श्री राम सिंह चौहान जिंदाबाद जिंदाबाद

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